- एस्ट्रोनॉमी: एस्ट्रोनॉमी स्पेस साइंस की महत्वपूर्ण शाखा है जो आकाशगंगा, सितारे, ग्रह और अन्य खगोलिक वस्तुओं का अध्ययन करती है। यह विज्ञान आसमानी बदलावों, सितारों के गतिविधियों, ग्रहों के गतिविधियों, ब्लैक होल्स, गैलेक्सियों, ब्रह्मांड की उत्पत्ति और विकास, और अन्य खगोलिक प्रक्रियाओं का अध्ययन करती है।
- एस्ट्रोफिजिक्स: स्पेस साइंस की शाखा “एस्ट्रोफिजिक्स” खगोलशास्त्र का हिस्सा होती है और इसमें खगोलशास्त्र के विभिन्न पहलुओं को भौतिकीक दृष्टिकोण से अध्ययन किया जाता है। एस्ट्रोफिजिक्स खगोलशास्त्र के तत्वों के संरचना, उनकी गतिविधियों, और उनके मौजूदा और भविष्यक प्रकृति का अध्ययन करती है, और यह स्पेस साइंस की एक महत्वपूर्ण शाखा है।
- कॉस्मॉलजी: स्पेस साइंस की शाखा “कॉस्मोलॉजी” एक खास शाखा है जो ब्रह्मांड की प्रारंभिक उत्पत्ति, विस्तार, और विकास के सवालों का अध्ययन करती है। कॉस्मोलॉजी ब्रह्मांड की संरचना, उसकी आदि-क्षणिकता, और उसके भविष्य के बारे में जानकारी प्रदान करती है। यह ब्रह्मांड के व्यापारिक स्वरूप को समझने का प्रयास करती है।
- प्लैनेटरी साइंस: “प्लैनेटरी साइंस” एक स्पेस साइंस की शाखा है जो ग्रहों और उनके उपाग्रहों के अध्ययन के लिए विशेषज्ञता प्रदान करती है। इस शाखा में ग्रहों के संरचना, उनकी गतिविधियाँ, उनकी मौजूदा स्थिति, और उनका इतिहास का अध्ययन किया जाता है। प्लैनेटरी साइंस के अंतर्गत कई मुख्य शाखाएं होती हैं.
- स्टेलर साइंस: “स्टेलर साइंस” एक स्पेस साइंस की शाखा है जो सितारों के अध्ययन के लिए विशेषज्ञता प्रदान करती है। इस शाखा में सितारों की संरचना, उनकी गतिविधियाँ, उनके जीवन के विभिन्न चरण, और उनकी एकसंख्या के बारे में अध्ययन किया जाता है। स्टेलर साइंस के अंतर्गत कई मुख्य शाखाएं होती हैं.
स्पेस साइंस’ में क्या है राजगार के अवसर सफलतापूर्वक कोर्स करने के बाद इस क्षेत्र में रोजगार के लिए भटकना नहीं पड़ता। प्रोफेशनल्स को नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा), इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाइजेशन (इसरो), डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट आर्गेनाइजेशन (डीआडीओ), हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल), नेशनल एयरोनॉटिकल लेबोरेटरी ( एनएएल) आदि में प्रमुख पदों पर काम मिलता है। इसके अलावा स्पेसक्राफ्ट सॉफ्टवेयर डेवलपिंग फर्म रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेंटर, स्पेसक्राफ्ट मैन्युफैक्चरिंग फर्म स्पेस टूरिज्म में भी रोजगार की प्रचुरता है। प्रमुख विश्वविद्यालय अथवा कॉलेज, स्पेस साइंटिस्ट को अपने यहां रख रहे हैं। स्पेस रिसर्च एजेंसी, साइंस म्यूजियम एवं प्लैनेटेरियम में भी हर साल बड़े पैमाने पर नियुक्तियां होती हैं। इसरो व नासा बड़े रोजगार प्रदाता के रूप में जाने जाते हैं।
आपको किन पदों पर मिलता सकता है
- काम स्पेस साइंटिस्ट
- एस्ट्रोनॉमर
- एस्ट्रोफिजिसिस्ट
- मैटीरियोलॉजिस्ट
- क्वालिटी एश्योरेंस स्पेशलिस्ट
- रडार टेक्निशियन
- रोबोटिक टेक्निशियन
- सेटेलाइट टेक्निशियन
- जियोलॉजिस्ट
इसमें हैं ये आकर्षक सेलरी पैकेज कितना होता हैं स्पेस इंडस्ट्री में प्रोफेशनली को काफी आकर्षक सेलरी मिलती है, बशर्ते उन्हें काम की अच्छी समझ हो। आमतौर पर शुरुआती दौर में एक स्पेस साइंटिस्ट को 25- 30 हजार रुपए प्रतिमाह मिलते हैं, जबकि दो-तीन साल के अनुभव के बाद यही राशि 40-45 हजार रुपए तक पहुंच जाती है। रिसर्च के क्षेत्र में आज कई ऐसे साइंटिस्ट हैं, जो सालाना लाखों के पैकेज पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। विदेशों में भी प्रोफेशनल्स को आकर्षक पैकेज दिया जाता है।
सातवा इसके फायदे एवं नुकसान
- उच्च पदों पर मिलती है जॉब
- प्रोजेक्ट कंप्लीट होने पर सुकून
- काम के घंटे अधिक
- कई बार काम का नतीजा नहीं
इसके लिए एजुकेशन लोन छात्रों को प्रमुख राष्ट्रीयकृत, प्राइवेट अथवा विदेशी बैंकों द्वारा एजुकेशन लोन प्रदान किया जाता है। छात्र को जिस संस्थान में एडमिशन कराना होता है, वहां से जारी एडमिशन लेटर, हॉस्टल खर्च, ट्यूशन फीस एवं अन्य खर्चों को ब्योरा बैंक को देना होता है। अंतिम निर्णय बैंक को करना होता है।
स्पेस साइंटिस्ट बनने के लिए कुछ प्रमुख कोर्स
- बीटेक इन स्पेस साइंस (चार वर्षीय)
- बीएससी इन स्पेस साइंस (तीन वर्षीय)
- एमटेक इन स्पेस साइंस (दो वर्षीय)
- एमएससी इन स्पेस साइंस (दो वर्षीय)
- एमई इन स्पेस साइंस (दो वर्षीय)
- पीएचडी इन स्पेस साइंस (तीन वर्षीय)
प्रमुख ‘स्पेस साइंस’ संस्थान
- इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी, तिरुवनंतपुरम
- बिरला इंस्टीटयूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मेसरा, रांची
- इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ साइंस, बेंग्लुरू वेबसाइट
- टाटा इंस्टीटयूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, मुंबई वेबसाइट
- नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च, भुवनेश्वर
Conclusion: How To Become A Space Scientist, अंतरिक्ष वैज्ञानिक बनने के लिए, व्यक्ति को भौतिकी, खगोल विज्ञान, या खगोल भौतिकी जैसे क्षेत्रों में एक मजबूत शैक्षिक पृष्ठभूमि अपनानी चाहिए और इंटर्नशिप या अनुसंधान अवसरों के माध्यम से व्यावहारिक अनुभव प्राप्त करना चाहिए। इसके अतिरिक्त, अंतरिक्ष अन्वेषण के प्रति जुनून और निरंतर सीखने की प्रतिबद्धता इस क्षेत्र में सफलता के लिए आवश्यक है।