बिलकुल, शुरू करते हैं! सबसे पहले हम जानेंगे कि शेयर्स क्या होते हैं और शेयर मार्केट क्या होता है। “शेयर” को स्टॉक और इक्विटी के रूप में भी जाना जाता है। शेयर का अर्थ है किसी कंपनी में हिस्सा रखना, यानी जब आपके पास किसी कंपनी के शेयर्स होते हैं, तो आप उस कंपनी के इतने हिस्सेदार बन जाते हैं, जितने शेयर्स आपके पास होते हैं। इसके परिणामस्वरूप, आप किसी कंपनी के शेयरहोल्डर बन जाते हैं।
जब आप किसी कंपनी के शेयर्स खरीदते हैं, तो आपको वह सभी अधिकार मिलते हैं जो शेयर होल्डर को होते हैं। आप अपने हिस्से को शेयर बाजार में खरीदने के साथ-साथ बेच भी सकते हैं।
बिल्कुल, आइए अब जानते हैं कि Share Market क्या होता है। मार्केट का नाम सुनते ही हमें लगता है कि यह कोई बड़ा बाजार होगा जिसमें बहुत सारी दुकानें होंगी, लेकिन शेयर मार्केट इस तस्वीर से बिल्कुल भिन्न है। शेयर मार्केट में शेयर्स की खरीददारी और बिक्री पूरी तरह से कंप्यूटर पर की जाती है। इसके लिए, ब्रोकर्स स्टॉक एक्सचेंज के सदस्य होते हैं और स्टॉक एक्सचेंज में व्यापार करने का अधिकार उन्हें होता है। ग्राहक सीधे शेयर खरीदने या बेचने का काम नहीं कर सकते, बल्कि इसे ब्रोकर की सहायता से करना पड़ता है।
शेयर्स को खरीदने और बेचने का काम स्टॉक मार्केट में होता है, और इंडिया में यह काम दो प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज पर होता है – बीएसई (बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज) और एनएसई (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज)। दुनियाभर में ऐसे कई बड़े स्टॉक एक्सचेंज होते हैं और भारत में फ्रॉम्ट 25 स्टॉक एक्सचेंज्स हैं। ये सभी कंपनियां इन दोनों स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड हो सकती हैं या दोनों स्टॉक एक्सचेंज्स में से किसी एक पर।
इस जानकारी के बाद, आपको यह समझ में आ गया होगा कि शेयर्स खरीदना इतना मुश्किल काम नहीं है, बल्कि यह एक दिलचस्प और लाभकारी काम है।
पैन कार्ड होना चाहिए:-
शेयर खरीदने की प्रक्रिया में आपको फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन के लिए पैन कार्ड की आवश्यकता होगी, इसलिए सबसे पहले अपना पैन कार्ड तैयार रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
ब्रोकर का चयन:-
आपने सही कहा है कि शेयर खरीदने और बेचने का काम हम डायरेक्ट नहीं कर सकते, बल्कि इसके लिए ब्रोकर की मदद की जरूरत होती है। ब्रोकर एक व्यक्ति या कंपनी हो सकती है, जिससे हम शेयर मार्केट में ट्रेडिंग कर सकते हैं। सेबी (सेक्यूरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया) द्वारा मान्यता प्राप्त करने वाले ब्रोकर्स से ही शेयर खरीद-बिक्री की जा सकती है।
ब्रोकर का चयन करते समय, बहुत से ब्रोकरेज फॉर्म और योजनाएं उपलब्ध होती हैं, जिनकी फीस भिन्न-भिन्न हो सकती है। इसमें कुछ ब्रोकरेज प्लांट रेट पर चार्ज करते हैं, जबकि कुछ का चार्ज प्रतिशत से होता है, जो आमतौर पर 0.01% से 0.05% तक हो सकता है।
इसलिए, ब्रोकर का चयन समझदारी से किया जाना चाहिए, और उसकी फीस और योजनाओं को ध्यान से देखा जाना चाहिए।
डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट बनाना:-
ब्रोकर का चयन करने के बाद, आपको Demat and Trading Account की आवश्यकता होती है, ताकि आप शेयर्स को खरीद और बेच सकें। डेमेट अकाउंट से आपके शेयर्स इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट में रहते हैं, और ट्रेडिंग अकाउंट के जरिए आप शेयर्स खरीदने और बेचने में सक्षम होते हैं।
भारत में, सेबी की मार्गदर्शिका के अनुसार, डेमेट सर्विसेज की प्रदान करने वाली दो प्रमुख संस्थाएं हैं – NSDL (National Security Depository Limited) और Cdsl (Central Depository Services Limited)। इन दोनों संस्थाओं को डिपॉजिट फीस कहा जाता है।
इन दोनों अकाउंट्स को खोलने के लिए, आपको अपने ब्रोकर या ब्रोकरेज फॉर्म के पास जाकर आवश्यक प्रक्रिया का पालन करना होगा, जहां आपके दोनों अकाउंट्स आसानी से खोले जाएंगे।